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जेहन से खत्म होने लगा कानून का खोफ़

देश के विभिन्न हिस्सों में लोगों के दिलों दिमाग से जिस प्रकार कानून का ख़ौफ़ खत्म होता जा रहा है यह देश की भोलीभाली जनता के लिये बेहद खतरनाक है। देश की जनता में भय का माहौल बन चुका है या फिर माहौल बनाने की तैयारी जोरो से चल रही है स्कूल, विधालय, अस्पताल, थाना, कारागार, न्यायालय व सार्वजनिक स्थानो पर आम आदमी ही नही बल्कि वरिष्ठ पत्रकार,अधिवक्ता, पुलिकर्मियों, डॉक्टर व बच्चियों के साथ असुरक्षा, बलात्कार व जानमाल की घटनाएं घटित हुई है व लगातार हो रही है निंदनीय है।  इलाहाबाद में दिनदहाड़े इलाहाबाद उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता की गोली मारकर हत्या का ज़िक्र हो या फिर मुन्ना बजरंगी की कारागार में हत्या का जिक्र हो, या फिर संघ के पदाधिकारियों की दिनदहाड़े हत्या का ज़िक्र हो या फिर उन्नाव में बेटी के पिता की हत्या सत्ता में आसीन नेताओं की संलिप्तता हो।जहाँ दाढ़ी के आधार पर भीड़तंत्र के द्वारा सरेराह पीट-पीट कर हत्या कर दी जाती है।इन सभी घटनाओं से आम आदमी के दिल मे भय की तस्वीर बनी है आगरा भी दिल दहलाने वाली घटनाओं से अछूता नही रहा है  आगरा में दिल दहलाने वाली घटना समाज के ऐसे व्यक्ति

पत्रकार की ख़बर का असर

एक पत्रकार की आवश्यकता कितनी होती है जीवन में छोटी से लेकर बड़ी खबरे हम तक पहुंचाने वाला एक पत्रकार ही होता है । देश में परिवर्तन लाने में एक पत्रकार की अहम भूमिका होती है जिसको वे पूरी ईमानदारी से निभाते हैं। जब हम बात करते है अत्याचारो की जो पत्रकारों के साथ होते आये है और कितने पत्रकारों की जान गई है और धमकिया मिलती है इसको समझना बहुत ही अहम है और ऐसा क्यों होता है इसका जवाब कौन देगा सरकार को कड़े कदम उठाने होंगे कम से कम पत्रकारों को सरकार से थोड़ी सुरक्षा मिलनी चाहिए और जो उनका हक़ है भविष्य में इनको रोकना आवश्यक है क्योंकि खबर का आधार ही असुरक्षित होगा तो इससे पत्रकारिता को कितना नुकसान उठाना पड सकता है  कौन ऐसे गलत काम को अंजाम देता है अंग्रेजी में कहावत है प्रिवेंशन इज बेटर देन क्योर मतलब है की बचाव ज़्यादा बेहतर है इलाज से तो कहने का तात्पर्य यह है की हमे उनको सुरक्षित करना होगा जो खबर (समाचार) का आधार है और जिसके बिना जनसंचार अधूरा है हिंदी पत्रकारिता हमारे देश में बहुत प्रभावशाली है जो 30 मई 1826 कलकत्ता से जो की  आज़ादी के दौर से पहले का है और जो की बहुत सी अनकही और अनसुनी कहा